छत्तीसगढ़ में कई शानदार पर्यटन स्थल हैं, जहां दूर-दराज से सैलानी आकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं। अब एक और ऐतिहासिक उपलब्धि ने छत्तीसगढ़ के पर्यटन को और बढ़ावा दिया है। जशपुर जिले के प्रसिद्ध मधेश्वर पहाड़ की शिवलिंग को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में “लार्जेस्ट नेचुरल शिवलिंग” के रूप में शामिल किया गया है। इस अद्वितीय और भव्य उपलब्धि के बाद, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पर बधाई दी और इसे राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया।

सीएम ने दी शुभकामनाएं

सीएम विष्णु देव साय ने ट्वीट कर लिखा, “बधाई छत्तीसगढ़! जशपुर जिले के प्रसिद्ध मधेश्वर पहाड़ को विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगी।” गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को प्रमाण पत्र सौंपा।इस मौके पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, वन मंत्री केदार कश्यप, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े उपस्थित थीं.

जशपुर को मिली और बड़ी पहचान

हाल ही में, पर्यटकों के बीच लोकप्रिय वेबसाइट EaseMyTrip.com ने जशपुर जिले को अपनी सूची में शामिल किया है। अब यह छत्तीसगढ़ का पहला जिला है जो इस वेबसाइट पर स्थान पा चुका है। इससे जिले के प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी पर्यटकों तक आसानी से पहुंचेगी, और पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।

मधेश्वर पहाड़: धार्मिक और साहसिक पर्यटन का केंद्र

जशपुर जिले के कुनकुरी ब्लॉक में मयाली गांव से 35 किलोमीटर दूर स्थित मधेश्वर पहाड़ अपने अद्भुत शिवलिंग आकार के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह स्थानीय ग्रामीणों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र है, जहां लोग इसे विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के रूप में पूजते हैं। इसके अलावा, यह स्थान पर्वतारोहण और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करते हैं।

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