उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 साल से बंद शिव मंदिर के कपाट आखिरकार श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। मंदिर के दोबारा खुलने के बाद इलाके में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। वहीं, मंदिर के आसपास से अतिक्रमण हटाने का अभियान भी तेजी से जारी है, ताकि मंदिर को साफ-सुथरा और भव्य रूप दिया जा सके।

मंदिर खुला, छज्जे हटे

मंदिर के आस-पास वर्षों से अवैध निर्माण हो चुका था, जिससे मंदिर का हिस्सा ढक गया था। जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हो गया। मंगलवार को मंदिर के पास एक मकान का छज्जा तोड़ा गया, जिसे मकान मालिक ने खुद ही हटवा दिया। उनका कहना था, “मंदिर के सौंदर्य और दर्शन में बाधा न हो, इसलिए यह कदम जरूरी था।”

शहरभर में तेज हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई

मंदिर के साथ-साथ संभल शहर के अन्य इलाकों में भी अतिक्रमण हटाने का अभियान तेज हो गया है।

दीपा सराय, मियां सराय और हातिम सराय जैसे इलाकों में नालियों के स्लैब तोड़े गए।
नगर पालिका के ईओ मणिभूषण तिवारी ने बताया कि पूरे 37 वार्डों में अभियान चल रहा है।
मुनादी करके लोगों को पहले ही अतिक्रमण हटाने के लिए जागरूक किया गया था, लेकिन जिन इलाकों में लोग खुद हटाने में असफल रहे, वहां जेसीबी मशीन की मदद से कार्रवाई की गई।

46 साल बाद शिव मंदिर में भक्तिमय माहौल

1978 के दंगों के कारण बंद हुए खग्गू सराय शिव मंदिर को सोमवार को पुलिस प्रशासन की मदद से फिर से खोला गया। सुबह 6:30 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। पूरा माहौल भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना से भक्तिमय हो गया।

500 से अधिक श्रद्धालु दिनभर मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर पूरे वातावरण को भक्तिरस में डुबो दिया।

आरती में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने की भागीदारी

मंदिर में सुबह और शाम की आरतियां भी बड़े हर्षोल्लास के साथ हुईं।सुबह 300 से ज्यादा श्रद्धालु आरती में शामिल हुए।
शाम की आरती में भी उतने ही लोगों ने भाग लिया।मंदिर की सीमित जगह के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। हर किसी के चेहरे पर मंदिर खुलने की खुशी साफ झलक रही थी।

अभियान रहेगा जारी

अधिकारियों के मुताबिक, अतिक्रमण हटाने का अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक पूरे शहर को साफ-सुथरा नहीं कर दिया जाता। नगर पालिका का यह कदम मंदिर के साथ-साथ शहर को भी सुंदर और व्यवस्थित बनाने के लिए उठाया गया है।

संभल का यह ऐतिहासिक कदम न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने की दिशा में भी एक मिसाल साबित हो रहा है।

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